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वक्त मुश्किल से काटा जाता है

Awara Masiha
Awara Masiha
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सजा सजाया मेरा घर कभी कभी
खंडहर सा नजर आता है
फरिस्तो की जुबान में कभी कभी
जहर सा नजर आता है
टूट जाते है सपने अक्सर
हकीकत के सफ़र में
जीवन का ये दौर अब तो मुझे
कहर सा नजर आता है.

रु-बरु होकर दर्द से बिखर गया हूँ मैं
रंगीन-खुशनुमा शामों का गुलदस्ता
अब तो बस ख्वाबों में नजर आता है
तुम्हारी बेवफाई का क्या जिक्र करें हम
बेबसी का ये दौर थामा कहाँ जाता है.
तेरे वापस न आने का ख्वाब तो
कभी दिल से गया ही नहीं
सफ़र-ए-जिंदगी में साथ तेरा
अलग ही सुकूं लाता है
मेरी इल्तजा सुन ऐ हमदम
फिर से लौट भी आ जरा
तेरे बिन जिंदगी गुजरती तो है
मगर वक्त! मुश्किल से काटा जाता है.

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